Lenskart IPO: Price band set at ₹382-402 per share, should you subscribe or avoid?
Lenskart IPO: क्या सिर्फ दमानी का दांव IPO में बोली लगाने के लिए काफी है? या नजरिये का 'चश्मा' बदलने की जरूरत है
'When technology meets creativity, magic happens' यानी जब आपकी क्रिएटिविटी से टेक्नोलॉजी का संगम हो जाता है, तो कुछ जादू होता है. कंज्यूमर आईवियर (Consumer eyewear companies) की दुनिया में गिनी चुनी ही कंपनियां (तकरीबन 12-13) होंगी जो दुनिया के किसी न किसी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट होंगी, उस लिस्ट में पीयूष बंसल की लेंसकार्ट (Lenskart Solutions Ltd.) भी शामिल होने जा रही है. लेंसकार्ट भारत की पहली आईवियर कंपनी भी होगी जो स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट होने जा रही है.
Lenskart का IPO 31 अक्टूबर को खुल रहा है और 4 नवंबर तक इसमें आप बोली लगा सकते हैं. शेयरों का अलॉटमेंट 6 नवंबर तक शुरू हो सकता है और 7 नवंबर तक ये डीमैट अकाउंट में क्रेडिट हो जाएगा. अनुमान है कि 10 नवंबर तक इसकी लिस्टिंग भी हो जाएगी. इसका प्राइस बैंड 382-402 रुपये है. लॉट साइज 37 शेयरों का है.
Lenskart IPO details
IPO खुलेगा 31 अक्टूबर, 2025
IPO बंद होगा 04 नवंबर, 2025
एंकर बुक खुलेगा 30 अक्टूबर, 2025
फ्रेश इश्यू ₹2,150.00 करोड़
OFS 12.75 करोड़ शेयर
प्राइस बैंड 382-402 रुपये
लॉट साइज 37 शेयरों
अलॉटमेंट 6 नवंबर
लिस्टिंग 10 नवंबर
IPO का साइज
IPO में फ्रेश शेयर यानी की नए शेयर (₹2,150.00 करोड़) भी जारी होंगे और प्रमोटर्स अपनी हिस्सेदारी ऑफर ऑफर सेल (12.75 करोड़ शेयर) के जरिए भी बेचेंगे. OFS में कंपनी के प्रमोटर्स में पीयूष बंसल, नेहा बंसल, अमित चौधरी और सुमीत कपाही अपना हिस्सा बेचेंगे. प्री-इश्यू में प्रमोटर्स होल्डिंग 19.85% है. साथ ही प्रमुख निवेशक भी इसमें हिस्सा लेंगे. जैसे -
- SVF II Lightbulb (Cayman) Ltd
- Schroders Capital Private Equity Asia Mauritius Ltd
- PI Opportunities Fund II
- Macritchie Investments Pte. Ltd.
- Kedaara Capital Fund II LLP
- Alpha Wave Ventures LP.
दमानी का दांव
ये IPO उस वक्त से काफी चर्चा में है जब से DMart के राधाकिशन दमानी ने IPO से पहले ही इस कंपनी में 90 करोड़ रुपये का निवेश किया है. दमानी अब किसी कंपनी में उसके IPO से पहले पैसा लगा रहे तो ये उन निवेशकों के लिए कन्फ्यूजन का बादल छंटने वाली बात हो जाएगी. इसलिए जब ये IPO खुलेगा तो ऐसा बिल्कुल संभव है कि निवेशक इसको हाथों हाथ लें, लेकिन क्या एक इकलौती यही वजह होनी चाहिए कि रिटेल निवेशक इस इश्यू में पैसा लगाएं. एक जिम्मेदार निवेशक के तौर पर आपको कुछ क्रिटिकल तो होना पड़ेगा, इसलिए जरूरी है कि इसके बाकी पहलुओं पर भी नजर डालें.
पैसों का इस्तेमाल कहां होगा
किसी भी IPO में जब आप बोली लगाने जाएं तो ये जरूर देखें कि कंपनी करना क्या चाहती है, IPO के पैसों का इस्तेमाल कहां करने वाली है. क्योंकि इसी से आपको पता चलेगा कि कंपनी पैसों को कंपनी की ग्रोथ में लगाने वाली है या फिर कोई गैर-जरूरी चीजों पर उड़ाने वाली है.
जहां तक लेंसकार्ट का सवाल है, तो RHP में उसने बताया है कि वो इश्यू से मिले पैसों का एक बड़ा हिस्सा कंपनी ओन्ड, ऑपरेटेड स्टोर्स (CoCo) स्टोर्स की लीज और रेंट के पेमेंट में करेगी. कंपनी ने 591 करोड़ रुपये ने स्टोर्स के मैनेजमेंट के लिए रखे हैं. करीब 320 करोड़ रुपये मार्केटिंग और बिजनेस प्रमोशन पर खर्च किए जाएंगे, 276 करोड़ रुपये नए CoCo स्टोर्स को सेटअप करने में खर्च होंगे.
213 करोड रुपये टेक्नोलॉजी और क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश किया जाएगा, बाकी पैसों का सामान्य कॉरपोरेट जरूरतों को पूरा करने में खर्च किया जाएगा.
अब अगर आप लेंसकार्ट के IPO में पैसा लगाने जा रहे हैं तो जरूरी है कि आप कंपनी के बारे में अच्छी रिसर्च करें, उस सेक्टर के बार में रिसर्च करें जिसमें ये कंपनी है. उसकी ग्रोथ क्या है, कंपनी का ग्रोथ प्लान क्या है.
कंपनी की वित्तीय सेहत कैसी है
PROFIT
FY25: Lenskart ने 31 मार्च 2025 को खत्म तिमाही में 297 करोड़ रुपये का प्रॉफिट दिया है
FY24: Lenskart ने ₹10.1 करोड़ का घाटा रिपोर्ट किया
FY23: Lenskart ने ₹6.3 करोड़ का घाटा रिपोर्ट किया
REVENUE
FY25: रेवेन्यू बढ़कर 6,652 करोड़ रुपये था
FY24: रेवेन्यू बढ़कर 5,428 करोड़ रुपये था
लेंसकार्ट कैसे बना इतना बड़ा ब्रैंड
लेंसकार्ट जिस सेक्टर में है, वहां कंपनी ने कंपटीशन को ही खत्म कर दिया है. क्योंकि लेंसकार्ट की बराबरी करने वाला उसके आस-पास भी नहीं है. क्योंकि भले ही हम आज कंज्यूमर आईवियर या थोड़ा फैंसी नामों से इस बिजनेस को बुला लें, लेकिन कायदे से देखा जाए तो चश्मे की दुकानें ही हैं, जो हमारे लिए हमेशा से ही कोई मोहल्ले की दुकान हुआ करती थी. इस सेक्टर का 70-80 परसेंट हिस्सा तो आज भी अनऑर्गनाइज्ड है. बस यहीं पर कोई प्लेयर आता है, गैप ढूंढता है और मौके पर चौका मारता है, जैसा कि पीयूष बंसल ने किया.
2008 में पीयूष बंसल ने ये बिजनेस शुरू किया, लेकिन वो इसे एक आम चश्मे की दुकान नहीं बनाना चाहते थे, इसलिए टेक्नोलॉजी की जमीन पर बिजनेस की नींव रखी. चश्मे का ऑनलाइन बिजनेस एक नया तरीका था, घर बैठे आंखों का चेकअप और चश्मे का सेलेक्शन और घर बैठे डिलिवरी भी. कंज्यूमर के लिए ये तो कुछ नया सा एक्सपीरियंस था.
एक और चीज उन्होंने समझी कि जितने भी ब्रैंडेड चश्मे आते थे, वो काफी महंगे हुआ करते थे, क्योंकि उनके ग्लासेज महंगे थे. इन्होंने 999 रुपये में चश्मों की सीरीज उतारी, जिससे मार्केट में उनकी पकड़ काफी मजबूत हो गई.
लेंसकार्ट ने जितना ध्यान फ्रेम और लेंस पर दिया, उतना ही ध्यान टेक्नोलॉजी और इनोवेशन पर भी दिया. जैसे कि 3D Try-On feature है, जिसमें लोग वर्चुअली कोई चश्मा ट्राई करके देख सकते हैं कि ये उनके ऊपर कैसा लगेगा. जिससे ऑनलाइन कन्वर्जन बढ़ा.
लेंसकार्ट ने AI और AR पर काफी निवेश किया है. एल्गोरिदम का इस्तेमाल करके वो कस्टमर की ब्राउजिंग हिस्ट्री से उसकी पसंद, नापसंद जान पाए. उसके चेहरे का आकार, स्टाइल वगैरह से वो ये पता कर पाए कि उन्हें अपनी इन्वेंट्री को कैसे तैयार करना है. किस भौगोलिक क्षेत्र में कौन सा फ्रेम बेहतर बिकेगा, जिससे ओवरस्टॉकिंग को रोकने में मदद मिली.
लेंसकार्ट ने लेंस तैयार करने के लिए भी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया. ऑटोमेटेड लेंस मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाया गुरुग्राम में. जहां पर रोबोटिक और ऑटोमेटेड सिस्टम के जरिए लेंस की मैन्युफैक्चरिंग की जाती है. यानी मशीनें ही प्रिसक्रिप्शन के मुताबिक लेंस कि कटिंग, ग्राइंड और कोटिंग करती हैं, इसमें मैनुअल लेबर का इस्तेमाल नहीं होता है.
आईवियर मार्केट का भविष्य क्या है?
आज से तकरीबन 25-30 साल पहले, पावर वाला चश्मा लगने की औसत उम्र 40 के पार हुआ करती थी, बच्चों में तो बहुत कम ही दिखते थे जो कि चश्मा पहनते हों. लेकिन आज के समय में जहां स्क्रीन टाइम इतना ज्यादा है, बड़े और बच्चों दोनों को ही चश्मा वक्त से पहले लगने लगा है.
दिल्ली, मुंबई और बैंगलुरु जैसे शहरों में ऑप्टिकल लेंस की खपत बहुत ज्यादा है. Kenresearch की एक रिपोर्ट बताती है कि भारत में 62 करोड़ लोगों को Visual Impairment है, यानी नजर कमजोर है, जिसकी वजह से करेक्टिव लेंस की भारी डिमांड है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन WHO ने मायोपिया रेट बढ़ने को लेकर भी चेतावनी जारी की है, जिसका शिकार ज्यादा बच्चे हैं, जिनकी संख्या 25 करोड़ के करीब हो सकती है. साल 2024 में भारत का कंज्यूमर आईवियर मार्केट करीब 7 बिलियन डॉलर है, जो कि साल 2030 में बढ़कर 13.6 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है, 6 साल में ये मार्केट करीब करीब दोगुना हो जाएगा.
तो यहां दो चीजें तो साफ हैं,
पहली ये कि कंपनी अपने सेक्टर में बहुत शानदार काम कर रही है, उसका कोई कंपटीशन नहीं है, अपने फील्ड में लगातार इनोवेशन कर रही है.
दूसरी ये कि जिस सेक्टर में लेंसकार्ट है, वहां डिमांड काफी ज्यादा है इसलिए ग्रोथ की संभावनाएं भी काफी ज्यादा हैं.
बाकी दमानी साहब तो IPO से पहले ही कंपनी में पैसा डाल चुके हैं. आप भी अपनी रिसर्च कीजिए और अपना फैसला लीजिए. ये ब्लॉग किसी भी तरह से निवेश सलाह नहीं है. ये सिर्फ आपकी जानकारी बढ़ाने के लिए लिखा गया है.
Follow me: 👇
Twitter - https://x.com/SumitResearch
Insta - Mehrotra Sumit (@sumitresearch)
Disclaimer: The information provided in this response is for informational and educational purposes only. It does not constitute financial, investment, or professional advice, nor is it a recommendation to buy, sell, or hold any securities, stocks, or investments. Always consult with a qualified financial advisor or conduct your own research before making any investment decisions. Past performance is not indicative of future results, and all investments involve risk, including the potential loss of principal.
.png)
Comments
Post a Comment