Top Countries Pouring FII Billions into India: Full 2025 Breakdown
पलट-पलट और पलट गए FIIs?
दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे में शाहरुख खान कंधे पर गिटार टांगे और दोनों गालों पर डिंपल लिए, जब काजोल के लिए 'पलट-पलट' कहते हैं, तो इस बात से बेखबर काजोल भी पलटती हैं और थियेटर में सीटियां बज उठती हैं. ये फिल्म का सीन आजकल FIIs पर फिट बैठ रहा है. FIIs पलट-पलट कर भारतीय बाजार की ओर लौट ही आते हैं. बीते तीन महीनों से विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से माल समेटकर निकल रहे थे, तभी 28 अक्टूबर को जब भारतीय बाजार दिशा के लिए भटक रहा था, FIIs ने 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की खरीदारी कर डाली. जो कि 26 जून 2025 के बाद दूसरी सबसे बड़ी खरीदारी है.
खरीदारी की असल वजह क्या है?
लेकिन यहां पर एक बात समझने वाली है वो ये कि FIIs ने भले ही 10,000 करोड़ रुपये की खरीदारी दिखाई है, लेकिन ये नया पैसा निवेश नहीं किया गया है, बल्कि उन्होंने अपनी फ्यूचर्स पोजीशन को कैश में कन्वर्ट किया है. FIIs स्टॉक फ्यूचर्स में भी ट्रेड करते हैं. 28 अक्टूबर को अनिवार्य मंथली डेरिवेटिव एक्सपायरी थी, जिसमें या तो उन्हें रोलओवर करना होता है या फिर डिलीवरी लेनी होती है. FIIs के पास 1.39 मिलियन फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स खुले थे. FIIs ने रोल-ओवर करने की बजाय डिलीवरी ले ली, जिससे कैश में खरीदारी दिखी. FIIs ने 1,22,914 फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स बंद किए, जिससे उनकी टोटल ओपन पोजीशन गिरकर 1.27 मिलयन कॉन्ट्रैक्ट्स पर आ गई.
एक्सचेंज के प्रॉविजनल डेटा के मुताबिक FPIs ने $1.2 बिलियन डॉलर की खरीदारी की जो कि रुपये में करीब 10,340 करोड़ रुपये बैठता है. हालांकि इसके पहले साल 2024 में ऐसे पांच मौके आए जब FIIs ने एक दिन में इतनी बड़ी खरीदार की हो. लगातार तीन महीनों की बिकवाली के बाद, अक्टूबर में FIIs ने अबतक 2.5 बिलियन डॉलर की खरीदारी की है. विदेशी निवेशकों ने जुलाई में 2.8 बिलियन डॉलर, अगस्त में 4.3 बिलियन डॉलर और सितंबर में 2.1 बिलियन डॉलर की बिकवाली की थी. यानी एक तिमाही में करीब 9.3 बिलियन डॉलर के शेयर विदेशी निवेशकों ने बेच दिए थे.
शाहरुख की काजोल तो भारत से आती है, लेकिन भारतीय बाजारों की काजोल मतलब की FIIs कई देशों से आते हैं. कहां के विदेशी निवेशक सबसे ज्यादा भारत में आते हैं. इसका एक लेखा जोखा आपके सामने रख रहा हूं. एक अच्छा दिलचस्प डेटा है, जिससे ये पता चलता है कि किस देश के FIIs भारत पर कितना लट्टू हैं.
सबसे ज्यादा विदेशी निवेशक अमेरिका से आते हैं. सितंबर तक भारत में रजिस्टर्ड FPIs की कुल संख्या 11,913 हो गई है. ये पिछले साल के मुकाबले थोड़ी सी ज्यादा है. पिछले साल ये संख्या 11,081 थी. इसमें भी अमेरिका से सबसे ज्यादा हैं, करीब 3,500 निवेशक हैं. NSDL सितंबर 2025 की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका का इक्विटी में AUC यानी असेट अंडर कंट्रोल 30,80,027 करोड़ रुपये है, मतलब इतनी वैल्यू की इक्विटी वो रखते हैं. जो कि बाकी देशों के मुकाबले कई गुना ज्यादा है. सिंगापुर के पास 4,73,673 करोड़ रुपये, लक्जमबर्ग के पास 5,28,275 करोड़ रुपये और आयरलैंड के पास 4,37,513 करोड़ रुपये की इक्विटी है.
कुछ दिलचस्प डेटा बताता हूं
- FPI AUC का करीब 84% टॉप 10 देशों से आता है. जिसका जिक्र इस लिस्ट में किया गया है.
- OECD नेशंस जैसे कि US, UK, जापान, कनाडा से 60% हिस्सा आता है
- अब अमेरिका और यूरोप से आने वाले विदेशी निवेशकों पर निर्भरता की वजह से भारतीय बाजारों में काफी उथल पुथल रहती है, लेकिन घरेलू निवेशकों का भी इनफ्लो बढ़ा है. जिसकी वजह से स्थिरता दिखी है.
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Good information
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