MEA bans BLS International from new tenders, Now what to do?

BLS इंटरनेशनल हुआ बैन, अब क्या करें?

वीजा, पासपोर्ट और कांसुलर सर्विसेज (Visa, Passport, Consular Services) देने वाली कंपनी बीएलएस इंटरनेशनल सर्विसेज (BLS International Services) पर सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है. विदेश मंत्रालय (MEA) और विदेश स्थित भारतीय मिशनों ने बीएलएस इंटरनेशनल सर्विसेज को दो साल के लिए भविष्य के टेंडर्स के लिए बोली लगाने से रोक दिया है. ये वीजा आउटसोर्सिंग सेक्टर के लिए एक तगड़ा झटका देने वाली खबर है. 

MEA bans BLS International from new tenders, Now what to do?


10 अक्टूबर को मिले 'निषेध आदेश' (Debarment order) के मुताबिक, BLS इंटरनेशनल को 2027 तक विदेश मंत्रालय या भारत के विदेशी मिशनों की ओर से जारी किए गए किसी भी नए टेंडर में भाग लेने से रोक दिया गया है. हालांकि इस आदेश का मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट पर कोई असर नहीं होगा, वो पहले की तरह बने रहेंगे. यानी जिन्होंने पहले से सर्विसेज ले रखी हैं, उन पर इस आदेश का कोई असर नहीं होगा. 

प्रतिबंध की वजह क्या है? 

सवाल उठता है कि वीजा आउटसोर्सिंग की एक लीडिंग कंपनी पर इतना सख्त प्रतिबंध आखिर लगाया क्यों गया? तो इसकी न तो कोई एक वजह है और न ही ये एक झटके में लिया गया फैसला है. 

विदेश मंत्रालय का ये प्रतिबंध कई आरोपों पर आधारित है, जिनमें बीएलएस इंटरनेशनल के खिलाफ पासपोर्ट और वीज़ा आवेदकों की ओर से दर्ज कई अदालती मामले और शिकायतें शामिल हैं. हालांकि ये शिकायतें किस तरह की हैं, उनकी संख्या कितनी है, इसे लेकर कंपनी के पब्लिक डिस्क्लोजर में कोई जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन ऐसा लगता है कि वो वीज़ा और कांसुलर आउटसोर्सिंग सेक्टर में सर्विस डिस्ट्रीब्यूशन से जुड़े मामले हो सकते हैं. 

कार्रवाई पर कंपनी ने क्या कहा?

विदेश मंत्रालय की ये कार्रवाई वीज़ा एप्लीकेंट्स से जुड़ी शिकायतों और कानूनी कार्यवाहियों के आधार पर की गई है. हालांकि ये आदेश भारत में बीएलएस की भविष्य की सरकारी गतिविधियों को भले ही सीमित करता है, लेकिन कंपनी का कहना है कि उसके मौजूदा संचालन पर कोई असर नहीं पड़ेगा. कंपनी ने अपनी रेगुलेटरी फाइलिंग में कहा है कि वो इस आदेश की समीक्षा कर रही है और कानून के मुताबिक उचित कार्रवाई करेगी.

कंपनी के लिए कितना बड़ा झटका?

बीएलएस इंटरनेशनल वीजा आउटसोर्सिंग और कांसुलर सर्विसेज के क्षेत्र में एक बड़ा खिलाड़ी है, इस फैसले का कंपनी की सेहत पर क्या असर पड़ेगा, कंपनी की मानें तो ज्यादा नहीं, कैसे? क्योंकि कंपनी का कहना है कि Q1FY26 में MEA सेगमेंट की उसके कंसोलिडेटेड रेवेन्यू में 12% हिस्सेदारी ही थी, जबकि EBITDA का हिस्सा सिर्फ 8% था, इसलिए असर काफी सीमित है.  

इस आदेश के असर को आंकड़ों की कसौटी पर कसकर देखिए, तो पता चलेगा कि कंपनी के दावे में कितना दम है. 

𝐅𝐘𝟐𝟓 (𝐀𝐜𝐭𝐮𝐚𝐥𝐬)

FY25 में कंपनी का रेवेन्यू: ₹2,193 करोड़ 

EBITDA: ₹649 करोड़ (मार्जिन: 31.9%)

मुनाफा: ₹540 करोड़ (Margin: 27.3%)

अब 𝐅𝐘𝟐𝟔 के नंबर्स पर इस आदेश का कितना असर पड़ेगा, एक अनुमान देखिए, क्योंकि कंपनी का रेवेन्यू 12% कम हो जाएगा, यानी रेवेन्यू में 263 करोड़ रुपये की कमी देखने को मिलेगी. इसी तरह EBITDA को भी 8% घटाएं तो ये करीब 52 करोड़ रुपये कम होगा. 

𝐅𝐘𝟐𝟔 (𝐀𝐬𝐬𝐮𝐦𝐞𝐝 𝐈𝐦𝐩𝐚𝐜𝐭 𝐒𝐜𝐞𝐧𝐚𝐫𝐢𝐨)

रेवेन्यू: ₹1,930 करोड़

EBITDA: ₹597 करोड़ 

PAT: ₹497 करोड़ (≈8% की गिरावट)

EPS: ₹11.35

Valuation

अब जरा वैल्युएशन पर एक नजर- 

मौजूदा भाव 337 रुपये

अभी टोटल मार्केट कैप: 13,912 करोड़ रुपये

PE ≈ 23–24x  

Implied M-Cap: ₹11,500–12,000 करोड़

मार्केट कैप में संभावित गिरावट: CMP से करीब 10–12% 

Conclusion

कंपनी के अपने डिस्क्लोजर को ही अप्लाई करके देखा जाए तो विदेश मंत्रालय के प्रतिबंधों के कारण शॉर्ट टर्म में रेवेन्यू में कमी आने की आशंका जरूर है, हालांकि, इसका प्रभाव घरेलू टेंडर बिजनेस (कुल रेवेन्यू का 12%) तक सीमित रहेगा ग्लोबल VAS और डिजिटल सेगमेंट में तेजी जारी रहेगी. 

देखिए, पिछले कुछ वर्षों में, बीएलएस ने अपने कस्टमर बेस को काफी डायवर्सिफाई किया है. कंपनी ने अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, स्पेन, स्लोवाकिया, हंगरी, पोलैंड और पुर्तगाल की सरकारों और संस्थानों के साथ कॉन्ट्रैक्ट हासिल किए हैं, और UIDAI प्रोजेक्ट्स के जरिए भारत में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इसने हाल ही में हुए अधिग्रहणों——iDATA और सिटिजनशिप इन्वेस्ट को भी अपने बिजनेस की ग्रोथ में अपना भागीदार बनाया है. 

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