From Vodafone to Swiggy, 5 Loss-Making Giants of India

5 साल से मुनाफे को तरसीं ये कंपनियां; कहां अटकी है कृपा? 

भारत की इकोनॉमी का एक दिलचस्प विरोधाभास है, एक तरफ नए-नए स्टार्टअप्स यूनिकॉर्न बन रहे हैं, शेयर बाजार में रिकॉर्ड तोड़ वैल्युएशंस के साथ कंपनियां कदम रख रही हैं और देश की ग्रोथ स्टोरी पर दुनिया की नज़र है, इस चमकती तस्वीर से इतर एक हकीकत ये भी है कि कंपनियां मुनाफा नहीं कमा पा रही हैं. कुछ ऐसी कंपनियां हैं जो पिछले पांच सालों में हजारों करोड़ रुपये झोंककर भी मुनाफे का मुंह नहीं देख पाईं. मैं आपको यहां 5 कंपनियों के बारे बताने जा रहा हूं. इनमें से कई कंपनियां तो ऐसी हैं कि जो धूम धड़ाके के साथ बाजार में आईं, लेकिन आज निवेशकों से नजरें मिलाने के काबिल नहीं. उनकी बैलेंसशीट गहरे लाल रंग से सनी हुई है. कई कंपनियां हैं जिन्होंने मार्केट कैप बनाई, यूजर्स जोड़े, फंडिंग उठाई, लेकिन मुनाफ़ा नहीं कमा पाईं. 

From Vodafone to Swiggy, 5 Loss-Making Giants of India

1- Vodafone Idea

5 साल में कुल घाटा= 1.44 लाख करोड़ रुपये

टेलीकॉम सेक्टर के इतिहास मे वोडाफोन आइडिया एक क्लासिक उदाहरण है, जो AGR बकाया, कंपटीशन और भारी भरकम कर्ज से जूझ रही है, लेकिन सर्विसेज अब भी चालू हैं. कंपनी ने बीते 5 साल से मुनाफा नहीं दर्ज किया है, इन पांच साल के दौरान कंपनी का कुल घाटा 1.44 लाख करोड़ रुपये के करीब रहा है. वोडाफोन आइडिया की सबसे बड़ी समस्या इसका कर्ज और सरकारी देनदारी है. सितंबर 2025 तक, कंपनी पर AGR (Adjusted Gross Revenue) का बकाया करीब ₹78,500 करोड़ रुपये का है, जिसमें ब्याज और पेनल्टी शामिल हैं. 

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक राहत भरी फैसला दिया है, जिसमें सरकार को FY17 तक के AGR डिमांड को फिर से कैलकुलेट करने की इजाजत दी गई है, यह कंपनी के लिए गेम-चेंजर हो सकता है, लेकिन अब भी, अगले साल मार्च 2026 से AGR की किस्तें शुरू होनी हैं, जो सालाना 16 हजार करोड़ से 18,000 करोड़ तक की हैं. पेनल्टी और ब्याज मिलाकर कुल देनदारी 2 लाख करोड़ रुपये के पार बैठती है. जो कि कंपनी के ऊपर एक भारी बोझ है. 

जहां तक शेयरों की बात है, बीते 5 साल में कंपनी का शेयरों में भारी उतार चढ़ाव देखने को मिला, लेकिन आज की तारीख में रिटर्न करीब-करीब जीरो है. हालांकि बीते एक साल में ये 7.10 रुपये से चलकर अब 10.60 रुपये पर आ गया है, यानी एक साल में ये 50% का रिटर्न दे चुका है. यह तेजी सुप्रीम कोर्ट के AGR फैसले और ARPU में बढ़ोतरी और FPO से फंड रेजिंग की वजह से है. मार्केट कैप ₹1.16 लाख करोड़ के आसपास है.

2 - Swiggy  

5 साल में कुल घाटा= 17,444 करोड़ रुपये

फूड डिलिवरी कंपनी Swiggy ने पिछले पांच सालों में कुल 17,444 करोड़ रुपये का नुकसान झेला है. इन पांच साल के दौरान कंपनी का घाटा लगातार बढ़ा ही है. FY25 में कंपनी को 3,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का घाटा हुआ है. FY26 की दूसरी तिमाही में कंपनी का घाटा बढ़ा, जबकि रेवेन्यू में तेज बढ़ोतरी देखने को मिली. कंपनी को इस दौरान 1092 करोड़ रुपये का घाटा हुआ. 

हाई ग्रोथ सेगमेंट में रहने के बावजूद Swiggy को घाटा क्यों उठाना पड़ रहा है. दरअसल, Swiggy ने क्विक कॉमर्स में भारी भरकम निवेश किया है. डिलीवरी खर्च, स्टोर-इंफ्रास्ट्रक्चर, स्टाफ, मार्केटिंग पर कंपनी दबाकर खर्च कर रही है. कंपनी का ऑपरेटिंग घाटा 3,444 करोड़ रुपये है, क्योंकि इसका एक्सपेंस 22,369 करोड़ रुपये तक बढ़ चुका है, और ये लगातार बढ़ता ही जा रहा है. कंपनी को Zomato से कड़ी टक्कर मिल रही है, इसके अलावा Quick Commerce में और भी दिग्गज - जैसे Zepto हैं, जिससे Swiggy का दबाव भी झेलना पड़ रहा है. 

3- Ola Electric 

5 साल में कुल घाटा= 8,396 करोड़ रुपये

भारत की इलेक्ट्रिक व्हीकल 2-व्हीलर इंडस्ट्री में ओला एक बड़ा नाम है, लेकिन बीते कुछ सालों से ये कंपनी जितना विवादों में रही है, उसकी साख थोड़ी धूमिल हुई है. सरकारी इंसेटिव और निवेशकों का पैसा लगाने के बाद भी कंपनी अभी वो मुकाम नहीं हासिल कर पाई जिसका दावा भाविश अग्रवाल ने शुरू में किया था. मुनाफा कमाने की तो बात बहुत दूर की है, कंपनी का घाटा हर साल पहले के मुकाबले बढ़ जाता है. बीते पांच साल में (FY21 से FY25) कंपनी को 8,396 करोड़ रुपये का घाटा हो चुका है, इसमें कोई कमी आएगी, इसके आसार भी नहीं दिखते हैं. ओला ने FY25 में ही 2,000 करोड़ से ज्यादा का घाटा झेला है, जब रेवेन्यू 9% गिरकर 4,645 करोड़ रह गया। फिर भी, 30% मार्केट शेयर के साथ कंपनी अपने सेक्टर की लीडर बनी हुई है.

ओला इलेक्ट्रिक की सबसे बड़ी समस्या हाई कैपिटल एक्सपेंडिचर (कैपेक्स) और सरकारी सब्सिडी पर निर्भरता है. कंपनी ने अपनी ओला फ्यूचर फैक्ट्री में बैटरी प्रोडक्शन और स्कूटर मैन्युफैक्चरिंग के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए हैं. FY25 में कुल खर्च 7,185 करोड़ तक पहुंच गया. साथ ही कर्ज का बोझ भी बढ़ा, FY25 में फाइनेंस कॉस्ट 366 करोड़ हो गई, जो FY24 के 186 करोड़ से दोगुनी है. मई 2025 में बोर्ड ने ₹1,700 करोड़ के फंड रेजिंग को मंजूरी दी, जिसमें टर्म लोन और NCDs शामिल हैं. कंपनी ने 'प्रोजेक्ट लक्ष्य' लॉन्च किया है, जो कॉस्ट कटिंग के लिए है. अब देखना है कि इसमें कंपनी को कितनी कामयाबी मिलती है. 

4- Paytm

5 साल में कुल घाटा= 6,866 करोड़ रुपये

डिजिटल पेमेंट्स की दुनिया में पेटीएम (वन97 कम्युनिकेशंस) एक समय भारत का सबसे बड़ा नाम था, एक ऐसी कंपनी जो कैशलेस इंडिया का चेहरा बनी. लेकिन पिछले पांच साल में कंपनी ने मुनाफा का चेहरा तक नहीं दिया और लगातार घाटे में ही रही. अगर ये सारा घाटा इकट्ठा कर दिया जाए तो कुल 6,866 करोड़ रुपये बैठता है. 

पेटीएम को इस दौरान काफी झटके सहने पड़े. RBI की सख्ती और कंप्लायंस के मुद्दे सबसे बड़े रहे, जनवरी 2024 में RBI ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक (PPBL) पर बैन लगा दिया, डिपॉजिट्स, क्रेडिट ट्रांजेक्शंस और UPI फैसिलिटीज पर रोक लगा दी. इसका असर ये हुआ कि वॉलेट बिजनेस बंद हो गया, FASTag का भी बिजनेस प्रभावित हुआ. जिसका इसके तिमाही नतीजों पर साफ दिखा, Q3 FY25 में रेवेन्यू 36% गिरकर ₹1,828 करोड़ रह गया और MTU (मंथली ट्रांजैक्टिंग यूजर्स) 100 मिलियन से घटकर 70 मिलियन हो गए. 

हालांकि कंपनी ने लगातार घाटा कम भी किया है. FY22 में जहां घाटा 2,396 करोड़ रुपये हुआ करता था, अब FY25 में घाटा 600 करोड़ रुपये के आस-पास आ गया है. Q2 FY26 में कंपनी ने 21 करोड़ का प्रॉफिट दिखाया (वन-टाइम चार्ज के बाद), जो रिकवरी का संकेत है. 

5-  Alok Industries 

5 साल में कुल घाटा= 3433 करोड़ रुपये

टेक्सटाइल सेक्टर के पुराने खिलाड़ियों में आलोक इंडस्ट्रीज एक ऐसा नाम है जो कभी भारत के होम टेक्सटाइल एक्सपोर्ट का चेहरा था, लेकिन पिछले पांच वित्त वर्षों (FY21 से FY25) में लगातार घाटे ने इसे कमजोर कर दिया. इन पांच वर्षों में कुल घाटा करीब 3,433 करोड़ रुपये का रहा है. कंपनी को सबसे ज्यादा नुकसान कच्चे माल की अस्थिरता, वैश्विक मंदी और भारी कर्ज की वजह से हुआ है. कंपनी इन्सॉल्वेंसी प्रक्रिया से गुजरने के बाद, फिर रेसॉल्यूशन और धीरे-धीरे ट्रैक पर लौटने की कोशिश कर रही है. इसका असर कंपनी के घाटे पर दिखा है. साल 2024 में जहां घाटा 880 करोड़ रुपये था, Q2FY26 में कंपनी का नेट लॉस 162 करोड़ तक सिमट गया है, जो कि एक अच्छा संकेत है.

कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के सपोर्ट से टर्नअराउंड की कोशिश कर रही है. आलोक इंडस्ट्रीज ने IBC प्रक्रिया में बड़े बदलाव देखे, RIL, JM फाइनेंशियल ने कंपनी का रेजोल्यूशन प्लान पेश किया और कर्ज की रीस्ट्रक्चरिंग और NCD/वर्किंग-कैप फैसिलिटीज़ की व्यवस्था हुई. रेजोल्यूशन ने कंपनी को फिर से पटरी पर लौटने में मदद की है. आलोक इंडस्ट्रीज की सबसे बड़ी समस्या उसका भारी भरकम कर्ज है, सितंबर 2025 तक, कंपनी का कर्ज 17,384 करोड़ रुपये है, जो FY25 के 25,928 करोड़ से कम है, लेकिन अभी भी मुनाफे पर दबाव डाल रहा है. 

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