Where do Indians Invest and Why Prefer FDs, PF, cash and Insurance Over Stocks

शेयर बाजार में निवेश भारतीयों की आखिरी पसंद! आज भी FD, PF और कैश का बोलबाला

शेयर बाजार के बम्पर रिटर्न्स, म्यूचुअल फंड सही है जैसी कैम्पेन के बावजूद देश का आम भारतीय अपने पैसों को इनसे दूर ही रखता है. क्योंकि वो आज भी अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा बैंक डिपॉजिट्स, इंश्योरेंस, प्रॉविडेंट फंड, स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स में ही रखना पसंद करता है. RBI की एक रिपोर्ट बताती है कि एक भारतीय अपने 100 रुपये जो निवेश करता है उसमें से तकरीबन 70 रुपया वो इन सुरक्षित और पारंपरिक एवेन्यूज में रखता है. Groww, Zerodha जैसे मार्केट ऐप्स की भरमार और रिकॉर्ड डीमैट अकाउंट की खबरों के बीच इक्विटी मार्केट में अब भी लोग 2 रुपये से भी कम पैसा डालते हैं.  
Why Indians Prefer FDs, PF, cash and Insurance Over Stocks


RBI का मार्च 2023 का डेटा देखें, कुल वित्तीय संपत्ति 363.8 लाख करोड़ रुपये है, मतलब भारत के सारे घरों ने मिलकर बैंकों, बीमा, म्यूचुअल फंड, प्रॉविडेंट फंड, शेयर वगैरह में कुल इतना पैसा लगा रखा था. यह रकम हमारे देश की कुल GDP का 135% थी. यानी हमने अपनी साल भर की कमाई से भी 35% ज्यादा पैसा बचा के लगा दिया था. यह बहुत बड़ी बचत है. जबकि कुल कर्ज 101.8 लाख करोड़ रुपये है, यानी असल में नेट फाइनेंशियल वेल्थ है वो 363.8 – 101.8 = 262 लाख करोड़ रुपये है.  जो कि GDP का 97.2% है. मतलब हम अमूमन कर्ज से ज्यादा बचत करते हैं.लेकिन बचत करते कहां हैं और निवेश कहां करते हैं, अब जरा उस पर आते हैं. 

बैंक डिपॉजिट्स
6.5 लाख करोड़ रुपये (25.5%)
फिक्स्ड डिपॉजिट्स और सेविंग्स अकाउंट्स में आज भी लोग पैसे रखना ज्यादा सुरक्षित मानते हैं. जो ये दर्शाता है कि लोग अपनी गाढ़ी कमाई के साथ कोई रिस्क नहीं लेना चाहते, भले ही सालों तक उनकी सेविंग्स पर रिटर्न जीरो रहे, क्योंकि महंगाई की मार के आगे सेविंग्स अकाउंट के रिटर्न कहां टिकेंगे. इसमें लोगों ने 6.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया हुआ है, जो कि कुल घरेलू वित्तीय संपत्ति का 25.5% हिस्सा है. FY24 में लोगों ने करीब 12 लाख करोड़ रुपये बैंक डिपॉजिट्स में जोड़े थे, जो कि 13% की ग्रोथ को दर्शाता है, हालांकि FY25 में ये गिरकर 10.5% पर आई थी. 

प्रॉविडेंट और पेंशन फंड्स (PPF समेत) 
5.8 लाख करोड़ (22.7%)
दूसरा सबसे बड़ा हिस्सा एक स्ट्रक्चरल ढांचा है, जिसमें हर सैलरीड कर्मचारी को अपनी बेसिक सैलरी का 12% हिस्सा EPF में देना ही पड़ता है.. इसके बाद NPS और पब्लिक प्रॉविडेंट फंड को भी जोड़ दें तो अपने आप ही बढ़ता जाता है. करीब 7 करोड़ फॉर्मल सेक्टर वर्कर्स के लिए ये सेविंग्स तो करनी ही पड़ती हैं,  जो कि उनकी रिटायरमेंट लाइफ के लिए जरूरी भी है. तो इसमें 5.8 लाख करोड़ रुपये का निवेश आता है, जो कि फाइनेंशियल एसेट्स का 22.7% है. 

लाइफ इंश्योरेंस फंड्स 
4.4 लाख करोड़ रुपये (17.2%)

कई सर्वे में एक बात सामने आती है कि भारतीय अब भी सेविंग्स के लिए लाइफ इंश्योरंस लेते हैं. जबकि बीमा और बचत दोनों अलग अलग चीजें हैं. यही वजह है कि पारंपरिक एंडोमेंट प्लान और मनी बैक पॉलिसीज पर लोग आज भी आंख मूंदकर भरोसा करते हैं, जबकि इनके हिस्टोरिकल रिटर्न्स 4–6% हैं. परिवार की सुरक्षा और टैक्स बचत के नाम पर लोगों ने इसमें 4.4 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया हुआ है, जो कि फाइनेंशियल एसेट का 17.2% हिस्सा है. ULIPs ने हालांकि कुछ ग्रोथ देखी है, लेकिन लोग टर्म प्लान को लेकर आज भी थोड़ा हिचकते हैं. 

छोटी बचत योजनाएं
3.4 लाख करोड़ (13.3%)
छोटी बचत योजनाएं, पोस्ट ऑफिस मंथली इनकी स्कीम, सीनियर सिटिजंस सेविंग्स स्कीम, किसान विकास पत्र और सुकन्या समृद्धि का कुल योगदान 3.4 लाख करोड़ या 13.3% है. ये अच्छी हैं और फिक्स्ड डिपॉजिट से थोड़ा ज्यादा रिटर्न भी देती हैं और इन पर सॉवरेन गारंटी भी मिलती है, जिससे ये जोखिम से बचने वाले परिवारों, खासकर सेमी अर्बन और ग्रामीण भारत के लिए बेहद आकर्षक बन जाती हैं.

कैश भी किंग
2.6 लाख करोड़ (10.5%)
लोगों में कैश रखने की आदत पुरानी है जो कि जाती नहीं. 2.6 लाख करोड़ या कुल वित्तीय बचत का 10.5% लोग अपने घरों में कैश के रूप में रखते हैं. इसकी कई वजहें हैं, इमरजेंसी के वक्त कैश तुरंत उपलब्ध होता है. ग्रामीण इलाकों में आज भी कैश उनकी रोजमर्रा की जिंदगी में एक बड़ा रोल निभाता है. हालांकि UPI की वजह से कैश में कमी जरूर आई है, लेकिन अब भी ये एक बड़ा हिस्सा है. 

इक्विटी: 48,613 करोड़ रुपये (1.9%)
म्यूचुअल फंड्स: 1.6 लाख करोड़ रुपये (6.3%)  
शेयर बाजार में भले ही धूम मची हो, लेकिन लोगों ने इसमें सिर्फ 48,613 करोड़ रुपये ही डाले हैं, जो कि महज 1.9% हिस्सा है. हालांकि म्यूचु्अल फंड्स को लेकर लोग थोड़ा ज्यादा जागरुक हैं, इसमें 1.6 लाख करोड़ रुपये का निवेश है जो कि 6.3% हिस्सा है, लेकिन इसमें एक बड़ा हिस्सा डेट और हाइब्रिड फंड्स में है न कि इक्विवटी. 

हालांकि लोगों का रुझान तेजी से इक्विटी और म्यूचुअल फंड्स की ओर बढ़ा है. रिटेल निवेशक डीमैट खातों की संख्या में जोरदार इजाफा हुआ है. वित्त वर्ष 24-25 भारत में डीमैट खातों की संख्या में बढ़ोतरी (लगभग 4.1 करोड़ नए खाते; लगभग 27% वार्षिक बढ़ोतरी) के लिए एक बढ़िया साल रहा, जिससे मार्च 2025 तक कुल खातों की संख्या बढ़कर लगभग 19.24 करोड़ और अगस्त 2025 तक 20 करोड़ से अधिक हो गई. टियर-2 और टियर-3 शहरों के युवा निवेशक डिजिटल प्लेटफॉर्म से जुड़ रहे हैं. 

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