Zomato's Profits Tumble, But Stock Skyrockets; what is cooking?
Eternal का मुनाफा गिर रहा, लेकिन शेयर हुआ बेलगाम! आखिर पक क्या रहा है?
Q1FY24 में जोमैटो का मुनाफा (Zomato Ltd.) महज 2 करोड़ रुपये था, जो कि Q1FY25 में कई गुना (करीब 12,550%) बढ़कर 253 करोड़ रुपये हो जाता है. इसके बाद Q2FY25 में भी सालाना मुनाफा 389% बढ़कर 176 करोड़ रुपये रहता है, लेकिन इसके बाद Q3FY25 में मुनाफा 57% गिरकर 59 करोड़ रुपये पर आ जाता है, फिर इसकी अगली तिमाही में यानी Q4FY25 में 78% गिरकर 39 करोड़ रुपये हो जाता है. हालांकि Q3 और Q4 में मुनाफा कम होने की वजह, क्विक कॉमर्स में कंपनी का भारी भरकम निवेश है, जिसका असर उसके प्रॉफिट पर दिखता है, लेकिन रेवेन्यू इस दौरान बढ़ता रहता है.
बीती दो तिमाहियों में मुनाफा गिरा, मार्केट कैप बढ़ा
मगर बीती दो तिमाहियों में फूड डिलिवरी और क्विक कॉमर्स कंपनी इटर्नल (Eternal Limited), जो कि Zomato और Blinkit जैसे ब्रैंड्स को ऑपरेट करती है. उसका सालाना मुनाफा Q2FY26 में 63% गिरकर 65 करोड़ रुपये रहता है. इसकी पिछली तिमाही Q1FY26 में भी इटर्नल का YoY मुनाफा 90 परसेंट गिरकर 25 करोड़ रुपये रहा था.
तो कहानी ये है कि इटर्नल मुनाफे के मोर्चे पर उतनी आकर्षक नहीं दिखती है, लेकिन जैसे ही आप इसके मार्केट कैप या शेयर प्राइस पर नजर डालते हैं, तस्वीर बिल्कुल उलट मालूम होती है, आखिर किसी कंपनी का मुनाफा लगातार गिर रहा हो और उस कंपनी के शेयर लगातार बढ़ कैसे रहे हैं? इसकी मार्केट कैप जून 2024 में 1.6 लाख करोड़ रुपये हुआ करती थी, आज की तारीख में बढ़कर 3.30 लाख करोड़ रुपये हो चुकी है, यानी दोगुना से भी ज्यादा. तो कंपनी के फाउंडर दीपिंदर गोयल ऐसा क्या परोस रहे हैं, जिससे निवेशकों को ये भरोसा है कि देर-सबेर ही सही, ऑर्डर में कुछ बढ़िया जरूर आएगा.
मैट्रिक्स पर एक नजर
आगे बढ़ने से पहले थोड़ा आंकड़ों पर नजर डालते हैं-
कंपनी का स्टॉक इस वक्त बुक वैल्यू के 11.6 गुना पर ट्रेड कर रहा है, जिसे की प्राइस टू बुक वैल्यू (P/B) रेश्यो भी कहते हैं. जो ये दर्शाता है कि स्टॉक काफी बढ़िया प्रीमियम पर ट्रेड कर रहा है. एक निवेशक के तौर पर मोटा-मोटा ये समझ लीजिए कि हाई प्रीमियम सिग्नल है कि ग्रोथ को लेकर अनुमान या उम्मीदें ज्यादा है. 11.6 गुना का मतलब ये हुआ कि निवेशक हर 1 रुपये की बुक वैल्यू के लिए 11.6 रुपये दे रहे हैं. जो कि किसी भी टेक या ग्रोथ स्टॉक के लिए उतनी चौंकाने वाली बात नहीं है. फूड-डिलिवरी और क्विक कॉमर्स बिजनेस के लिए तो कतई नहीं क्योंकि इसकी वैल्यू इसके विस्तार और एसेट लाइट बिजनेस मॉडल पर होती है, न कि फिजिकल एसेट्स पर.
इसका PE रेश्यो भी 1,122 पर बना हुआ है, जबकि इंडस्ट्री का PE एवरेज 191.73 है, जिससे इसकी वैल्युएशन को लेकर भी सवाल उठते रहते है. PE 1,122 गुना होने का मतलब है कि आप कंपनी की 1 रुपये की कमाई पर 1,122 रुपये दे रहे हैं.
स्टॉक बढ़ने की वजह
इतने हाई मैट्रिक्स दिखाने का मतलब क्या हुआ? ये बात समझाने के लिए कि निवेशक इटर्नल के स्टॉक से बहुत ज्यादा उम्मीदें लगाकर बैठें है, आखिरकार इंफो एज वाले संजीव बिखचंदानी ने भी तो जोमैटो से ही पैसा कमाया है, तो बाकी क्यों पीछे रहें. निवेशकों के इटर्नल पर भरोसे की वजह क्या है, क्यों आखिर वो इस गिरते मुनाफे वाली कंपनी पर दांव लगाते जा रहे हैं. तो इसके कुछ कारणों पर एक नजर डालते हैं
- प्रॉफिट गिरने के बावजूद, रेवेन्यू 183% YoY उछलकर 13,590 करोड़ रुपये रहा है, और रेवेन्यू की गाड़ी को खींचा है कंपनी की क्विक कॉमर्स आर्म ब्लिंकिट ने, जो कंपनी के लिए ऐसा तुरुप का इक्का (Trump Card) साबित हुआ है, जिसने इटर्नल की क्विक कॉमर्स बिजनेस का बेताज बादशाह बना दिया है. कुल रेवेन्यू में 40% से ज्यादा का योगदान ब्लिंकिट से आ रहा है, जो फूड डिलीवरी के 23% ग्रोथ से कहीं ज्यादा तेज है. ये ब्लिंकिट ही है जिसने इटरनल को स्लो ग्रोथ से उबारकर हाई-ग्रोथ स्टोरी बना दिया. ब्लिकिंट अब इटर्नल का ग्रोथ इंजन है. अगर यह ट्रेंड चला, तो 2026 तक EBITDA पॉजिटिव हो सकता है. इसलिए निवेशक इन्वेंटरी ओनरशिप मॉडल से स्केलिंग पर भरोसा कर रहे हैं, भले ही कॉस्ट बढ़ने से मार्जिन प्रेशर हो.
- देखिए, भारतीय शेयर बाजार में ग्रोथ स्टॉक्स (Growth Stocks) का ट्रेंड कुछ ऐसा है कि निवेशक अक्सर 'आज' के मुनाफे से ज्यादा 'भविष्य' की संभावनाओं पर दांव लगाते हैं. जहां तक भारत में क्विक कॉमर्स बिजनेस के भविष्य का सवाल है तो ये अनुमान है कि 2027 तक ये मार्केट 5-10 बिलियन डॉलर का होगा, ये सेंटीमेंट भी निवेशकों के लिए पॉजिटिव है. इटर्नल ने सितंबर 2025 में टाटा मोटर्स और टाइटन को पीछे छोड़कर टॉप 25 निफ्टी50 में एंट्री की थी. निवेशक हाइप (जैसे अमेजन जैसी डोमिनेंस) पर दांव लगा रहे हैं, न कि शॉर्ट-टर्म प्रॉफिट पर.
- दूसरी तिमाही के नतीजों के बाद इटर्नल का शेयर 4% गिरा, लेकिन ब्रोकरेज फर्म्स, जैसे मोतीलाल ओसवाल ने टारगेट प्राइस 415 रुपये तक बढ़ा दिया, वे मानते हैं कि सिक्वेंशियल प्रॉफिट ग्रोथ (पिछली तिमाही से) बेहतर है और टॉपलाइन एक्सपैंशन से लॉन्ग-टर्म वैल्यू बनेगी. CEO दीपिंदर गोयल ने फूड डिलीवरी में स्लो रिकवरी की बात जरूर कही है, लेकिन क्विक कॉमर्स को 'गेम-चेंजर' बताया है.
एनालिस्ट्स की अपनी राय है और बाजार की अपनी चाल, लेकिन आप क्या सोचते हैं इस बारे में? क्या इटर्नल के शेयरों में जो तेजी दिख रही है, वो सही है. इस पर अपनी टिप्पणी जरूर दें. और किस टॉपिक पर आप आर्टिकल चाहते हैं जरूर बताएं.
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